सभी ग्रह हानिकारक भी हैं |

(आपके जीवन में किस ग्रह ने कब लाभ दिया या हानि पहुंचाई,

इस लेख से पता चल जायेगा | )

-डॉ जे के शर्मा

वैसे तो आम राय यही होती है कि ग्रह कभी अच्छे होते हैं तो कभी बुरे | सच्चाई भी यही है कि ग्रह न अच्छे होते हैं न ही बुरे | ग्रह तो मात्र अपने स्वामी अर्थात सर्वशक्तिमान ईश्वर के आदेशों को पूरा करते हैं | त्रिदेव की विचित्र माया किसी के समझ में शायद ही आई हो | कर्म करने ओर कराने वाले प्रभु ही हैं | परन्तु मानव को बुद्धि दी है, इसलिए मानव को सदबुद्धि का प्रयोग करते हुए पाप या गलती नहीं करनी चाहिए | सावधानी हटी और दुर्घटना घटी | त्रिदेव के ही अधिकृत अधिकारी अर्थात नव  ग्रह हम मानवों को मार्ग पर लाते हैं | भयंकर अपराध या पुराने अपराध होने पर भयंकर कष्ट व् अवांछित फल मिलते हैं |      मानव सूर्य, आसमानी बिजली, हवा, पानी, अग्नि व्  तूफान आदि से डरता रहा व् इनको पूजता रहा | बाद में, त्रिदेव  तथा ग्रहों के बारे में ज्ञान प्राप्त हुआ तो इनके दान जप तप पूजा आदि उपाय शुरू हो गये |

जहाँ प्रत्येक ग्रह एक स्थान विशेष पर लाभकारी है, वही ग्रह दूसरी जगह पर हानिकारक है | यह एक कटु  व् ध्रुव सत्य है |  

     गुरु बृहस्पति :   जीवन के 18-19-20 वें वर्ष में ज्ञान  एवं विद्या में उच्च पोजीशन व् आय देता है | कर्क राशि में बृहस्पति उच्च होता है व् अपनी राशियों धनु व् मीन में उच्च राशि समान लाभ आदि देता है | बृहस्पति मकर राशि  में नीच हो जाता है | परन्तु जन्म से ही  बृहस्पति जन्म से कुंडली में कहीं भी नीच  होने वक्री होने पर हानि देता है | थाइरोइड, सांस, दमा, पीलिया या हार्ट आदि बीमारियाँ देता है | कुंडली में बृहस्पति खराब होने के साथ साथ यदि चन्द्र अस्त/नीच  या  राहू या  शनि खराब हों तो व् इनकी बृहस्पतिसे युति हो तो  बृहस्पति 18-19-20 वें वर्ष में जीवन लीला भी समाप्त कर देता है | 

सूर्य :      22 वें वर्ष में विद्या में स्वर्ण पदक, नई सरकारी  नौकरी, यूनिवर्सिटी जॉब,  प्रसिद्धि व् धन लाभ देता है | सूर्य मेष राशि में उच्च होता है व् स्वराशी सिंह में उच्च समान लाभ आदि देता है |  परन्तु जन्म से ही  कार्तिक मॉस में जन्मे लोगों  का सूर्य नीच राशि तुला में होने पर कष्टकारी हो जाता है |  राहू व् शनि के साथ सूर्य व् विशेषकर कार्तिक का नीच राशि सूर्य हानिकारक व् मारक भी बन जाता है विशेषकर यदि कुंडली के बाहरवें घर में हो |  

     चंद्रमा :    चन्द्रमा शीतल है जो 24 वें वर्ष में सुन्दरता,  प्रेम व् विवाह आदि करा देता है | चंद्रमा वृष राशि में उच्च होता है व् अपनी राशि कर्क में उच्च समान सुख लाभ देता है | यह ग्रह सुख, पति/पत्नी सुख/शैय्या सुख व् अपार  धन आदि देता है | जल-सिंचाई विभाग में जॉब, कोल्ड ड्रिंक्स व् ड्रिंक्स का व्यापार, नेवी में जॉब आदि चन्द्रमा ही दिलाता है | चन्द्रमा भावुक बना कर भावनाओं को उद्वेलित करता हुआ लाभ-हानि भी करता है | परन्तु जन्म से ही  चन्द्रमा वृश्चिक राशि में नीच होने, छ्टे-आठवें-बाहरवें  घर में होने, अमावस पर अस्त होने पर यह पानी में डूबा कर मारता भी है | प्रेम व् वैवाहिक सुख के लिए चन्द्र अच्छा होना जरूरी है |

शुक्र  :    शुक्र 25वें वर्ष में मानव की जिन्दगी में प्रेम, रोमांस, कलात्मकता, गीत-संगीत-नृत्य,  आत्म-सम्मान, वाणिज्य व् बैंक जॉब्स आदि प्रदान करता है | शुक्र मीन राशि में उच्च होता है व् अपनी राशि वृष या तुला में उच्च समान लाभ देता है |  देश प्रेम, विवाह-सुख व् सेक्सुअल सुख आदि  शुक्र की ही देन हैं | परन्तु जन्म से ही  शुक्र कन्या में नीच होने पर उपरोक्त सुखों में कमी रखता है | शूगर समस्या, प्राइवेट पार्ट्स सम्बन्धी समस्या, कलंक लगना व् मान सम्मान न होना शुक्र नीच होने के कारण या शुक्र पर शनि के चलने के कारण ही होता है |

मंगल  :       मंगल 28 वें वर्ष में उच्च पद, विवाह, पुत्र सन्तान, प्रॉपर्टी व् अच्छा धन लाभ देता है | मंगल राजपत्रित अधिकारी बना देता है | मकर राशि में मंगल उच्च होता है, स्वराशी मेष व् वृश्चिक में उच्च मंगल जैसा लाभ देता है | पुलिस, आर्मी, पैरा-आर्मी. डॉक्टर, केमिस्ट, नर्स, होटल स्वामी आदि व्यवसाय में 28 वें वर्ष में/से तरक्की होती है | परन्तु जन्म से ही  मंगल कर्क राशि में नीच होने, अस्त या वक्री होने पर लाभ नहीं देता | विवाह टूटने, पौरुष में कमी, सन्तान हीनता आदि समस्याएँ आ जाती हैं | कर्जा चढ़ाने में  नीच मंगल या वक्री मंगल का हाथ भी होता है | नीच मंगल व् राहू की युति आत्महत्या के लिए उकसा देती है |

शनि  :        शनि 30 वें वर्ष में राजपत्रित अधिकारी बना देता है व् अत्यधिक मेहनत करवाता है | तुला राशि में शनि उच्च होता है, स्वराशी मकर व् विशेषकर कुम्भ में लाभकारी होता है |  कुंडली के हर विषय, सुख दुःख, जीवन मृत्यु, विवाह, सन्तान, जॉब या व्यापार, कमीशन एजेंट  आदि शनि से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते | कुंडली के जिस घर में शनि बैठा हो, वहां से ही वह, कम से कम,   छह घरों पर दृष्टि जमाये होता है | परन्तु जन्म से ही  शनि नीच राशि मेष में, या अस्त या वक्री हो या आठवें/तीसरे/छ्टे घर में नीच-अस्त-वक्री पड़ा हो तो 30 वें वर्ष में हानि ही अधिक करता है | 

शनि 36 वें वर्ष में लाभ/विशेष लाभ देता है, चाहे कुंडली में कैसा भी क्यों न हो |

बुध :          बुध विद्या, लेखन, वाणी, व्यापार, शिक्षा आदि प्रदान करता है | प्राइवेट जॉब दिलाने के लिए बुद्धा देवी से प्रार्थना करनी होती है |  बुध अपनी ही राशियों  मिथुन व् कन्या में उच्च होता है व् मनचाहे लाभ देता रहता है | समय से विवाह ना होने या सन्तान ना होने  पर, बुध 32 वें वर्ष में विवाह या सन्तान दे देता है | व्यक्ति चतुर, चालक, गणितज्ञ, चापलूस व् शीघ्र प्रमोशन पाने वाला होता है |  बुध मीन राशि में नीच होता है | परन्तु जन्म से ही  बुध वक्री होने पर, व्यक्ति के जूनियर लोग पहले प्रमोशन पाते  है व् अपनी प्रमोशन बाद में होती है | नीच, अस्त व् वक्री बुध कभी कभी बुधिहीनता प्रदर्शित करता है, धन हानी व् धोखा अवश्य मिलता है | शनि बुध से मिल कर लकवा मारता है,  कर्जे चढाता है व् कोर्ट केस आदि करा देता है |

राहू :          राहू तीव्र बुद्धि, चालाक, दो नम्बरी कार्य करने  व् उससे आय, ठेकेदारी, कमीशन एजेंट,  कंप्यूटर साइंस, आई टी, राजनीति, व् इतिहास सिखाने वाला ग्रह है | राहू मिथुन राशि पर उच्च होता है व् बुध की मित्रता पसंद करता हैं क्योंकि बुध को घुमा सकता है उल्लू बना सकता है | बुध  अच्छा होने पर भी बुद्धि  भ्रष्ट होने का कारण बुध के साथ राहू व्/या शनि हैं | परन्तु जन्म से ही राहू नीच राशि धनु पर होने से व्यक्ति में नकारात्मकता भर देता है | यदि कुंडली में बृहस्पति नीच या वक्री हो व् राहू जन्म से धनु राशि पर हो तो व्यक्ति आत्महत्या की सोच लेता है | तिस  पर, शनि भी धनु राशि पर आ गया हो (यदि जन्म से शनि वक्री या नीच होकर धनु पर आ गया हो  व् राहू जन्म से ही धनु पर हो तो) आत्म हत्या योग बन जाता है |

केतु :          केतु कोई छोटा ग्रह नहीं है | विशोत्तरी दशा में केतु गुरु की धनु राशि में केतु-उच्च होने पर लाभ देता है यदि गुरु नीच या वक्री ना हो | व्यक्ति को उपरी ताकतें, आत्माएं, भूत प्रेत दीखते हैं व् व्यक्ति अध्यात्म के मार्ग पर चलता हुआ मोक्ष प्राप्त करने  का अधिकारी बनता है | गुरु+केतु पुत्र योग भी बनाते हैं जिसमें कुत्ता पालना होता है या कुत्ते को खाना आदि देकर सेवा करनी होती है | उच्च केतु अन्य  ग्रहों के सहयोग से लाटरी दे देता है | कुंडली के चोथे घर में कैसा भी केतु होना ठीक नहीं होता जो वैवाहिक सुख व् जीवन में हानि करता है | तब कुत्ता पालना बहुत जरूरी हो जाता है |  परन्तु जन्म से ही केतु यदि बुध की मिथुन राशि में हो तो केतु-नीच बन जाता है जिससे हानि होती है |  ऐसी अवस्था में, शनि केतु से आ मिल रहा हो, जीवन का 48 वा  वर्ष हो या केतु की विम्शोतरी दशा शुरू हो रही हो तो केतु चोट, एक्सीडेंट, डेंगू, चिकन गुनिया  अनजाना बुखार, पोलियो  आदि बीमारियाँ देता है व् व्यक्ति ओपरे असर को अनुभव करते हुए परेशान हुआ रहता है |

प्रिय पाठको, यदि वर्तमान में जिस ग्रह की  विमशोत्तरी दशा चल रही है, वह ग्रह उच्च है तो उस ग्रह के दान पूजा जप तप आदि करने से शुभ फल व् लाभ में बढ़ोत्तरी होती है | दूसरी और, यदि किसी नीच ग्रह की विम्शोतोरी दशा चल रही हो तो उसके उपाय दान पूजा जप तप  व् महामृत्युंजय जप आदि करना या कराना श्रेयस्कर रहता है |

ग्रह के उपाय, दान, पूजा,जप, तप  व् महामृत्युंजय जप आदि लाभ देते हैं या नहीं, अच्छा हो कि  भुक्तभोगियों से पूछा जाये | हमारे विचार में, कष्ट से राहत मिलती है व् कार्य धीरे धीरे होते चले जाते हैं | अच्छे ग्रह की अच्छी दशा चल रही तो उसके उपायों से भी सम्बन्धित ग्रह के लाभों में वृद्धि होती है, यह अनुभव में देखा गया है |

तब भी, विद्वान पाठक अपनी समझ व् सदबुधि से निर्णय करें |

शुभ कामनाएं |

ज्योतिष का ज्ञान रखने वाले विद्वान  उपरोक्त लेख में कमियां लिखें तो मैं अपने ज्ञान वृद्धि के लिए उनका धन्यवादी होऊंगा  | आलोचना करते हुए अपना तर्क अवश्य दें |  केवल आलोचना के लिए आलोचना की आवश्यकता नहीं है | अकारण या नास्तिक होने पर अज्ञानी की तरह टिप्पणी करने से क्या लाभ ?

मुफ्त में आप केवल एक बार केवल एक प्रश्न का उत्तर पूछ  सकते हैं  वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू.पंडितजेकेशर्मा.कॉमपर ईमेलजेकेशर्मा2075@जीमेल.कॉम पर अपना नाम, जन्म तारीख, जन्म समय, जन्म का जिला, वर्तमान शैक्षणिक योग्यता व् वर्तमान कार्य/जॉब पोस्ट करके  |

नारायण, नारायण |

 

 

 

 

 

सभी ग्रह हानिकारक भी हैं

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-डॉ जे के शर्मा

ग्रह न अच्छे होते हैं न ही बुरे, न मित्र न शत्रु, न अपने और न ही पराये | ये ग्रह जन्म समय मार्गी, उदय, अस्त, नीच राशि में या वक्री आदि होने से तथा  कुंडली में इनकी अलग अलग स्थिति से उच्च/नीच या  अच्छे-बुरे बन जाते हैं | आपके जीवन में किसी ग्रह ने कब लाभ दिया या हानि पहुंचाई, इस लेख से पता चल जायेगा | इसके लिएकृपया आप देखें: डब्लूडब्लूडब्लू.पंडितजेकेशर्मा.कॉम या फेसबुक जय कृषण शर्मा पर पेज देखें आस्ट्रोलाजर जे के शर्मा या जे के शर्मा आस्ट्रोलाजर